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लोकसभा-राज्यसभा बुधवार तक स्थगित, अदाणी केस-संभल हिंसा मुद्दे पर विपक्ष का जोरदार हंगामा

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को लोकसभा और राज्यसभा में जबरदस्त हंगामा हुआ। दोनों ही सदनों में अमेरिका में अदाणी के खिलाफ लगे आरोपों और यूपी के संभल में हुई हिंसा को लेकर चर्चा की मांग की गई। इस दौरान विपक्षी सांसदों ने जमकर हंगामा किया। आखिरकार दोनों ही सदनों को बुधवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

बताया गया है कि राज्यसभा में विपक्ष ने मणिपुर हिंसा और केरल के वायनाड में आई आपदा को लेकर भी स्थगन प्रस्ताव दिए थे। हालांकि, इन मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पाई। इस बीच विपक्षी सांसदों ने भाजपा को संभल हिंसा के मुद्दे पर घेरा। समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव और कुछ अन्य पार्टी सदस्यों ने इस दौरान जोर शोर से अपनी बात रखने की कोशिश की। इस दौरान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी खड़े दिखाई दिए। अन्य विपक्षी दलों के सदस्य भी विभिन्न मुद्दों को उठाने का प्रयास कर रहे थे। विपक्ष के हंगामे के कारण दोनों ही सदनों में शून्यकाल एवं प्रश्नकाल नहीं हो पाए।

राज्यसभा में क्या बोले विपक्षी नेता?
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के जॉन ब्रिटास, कांग्रेस के नीरज डांगी, प्रमोद तिवारी और अखिलेश प्रसाद सिंह और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह समेत कई सदस्यों ने अदाणी समूह के खिलाफ अमेरिकी अभियोजकों के रिश्वतखोरी के आरोपों पर चर्चा की मांग को लेकर नोटिस दिए। आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा सहित विपक्ष के कुछ अन्य सदस्यों ने मणिपुर में हिंसा और उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के मुद्दे पर नोटिस दिए थे।

सभापति धनखड़ ने इन सभी नोटिस को अस्वीकार कर दिया और खरगे को अपनी बात रखने का मौका दिया। खरगे ने कहा कि अदाणी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर हैं। उन्होंने कहा कि अगर सूचीबद्ध कामकाज को निलंबित कर दिया जाता है तो विपक्षी सदस्य बता सकते हैं कि यह बहुत अहम मुद्दा है और यह कैसे पूरे देश को कैसे प्रभावित कर रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया कि वैश्विक स्तर पर देश की छवि खराब हुई और फिर भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अदाणी का समर्थन कर रहे हैं। हालांकि, इससे पहले खरगे कुछ और बोल पाते, सभापति ने कहा कि वह इस मुद्दे पर उनके नोटिस को अस्वीकार कर चुके हैं इसलिए वह इसे उठा नहीं सकते। इसके बाद कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के सदस्य अपने स्थान पर खड़े हो गए और आसन से खरगे को बोलने देने की मांग करते रहे।

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