महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच नासिक के एक होटल से जब्त हुए 1.98 करोड़ रुपये ने राज्य की सियासत में भूचाल ला दिया है। इस घटनाक्रम ने न केवल विपक्ष को हमला बोलने का मौका दिया है, बल्कि मतदाताओं के बीच चुनावी नैतिकता और निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
चुनावी गहमागहमी के बीच बड़ी जब्ती

नासिक के जिला मजिस्ट्रेट जलज शर्मा ने पुष्टि की है कि बरामदगी के बाद जांच तेज़ी से चल रही है। उनके मुताबिक, “जब्त की गई राशि की जांच व्यय पर्यवेक्षकों और अधिकारियों की टीम कर रही है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कहीं यह पैसा चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए तो इस्तेमाल नहीं किया जा रहा।”
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता लागू कर रखी है, जिसके तहत 50,000 रुपये से अधिक नकद राशि ले जाने पर वैध दस्तावेज अनिवार्य हैं। इससे पहले भी ठाणे में 2.5 करोड़ रुपये नकदी जब्त हुई थी, जिसने राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया था।
सत्ता की कुर्सी के लिए महायुति बनाम महा विकास अघाड़ी
288 सीटों वाली विधानसभा में सत्ता पर कब्जा बरकरार रखने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन (भाजपा, शिवसेना-शिंदे गुट और एनसीपी-अजीत पवार गुट) और विपक्षी महा विकास अघाड़ी (कांग्रेस, शिवसेना-यूबीटी, एनसीपी-शरद पवार गुट) के बीच कड़ा मुकाबला है।
महायुति ने इस चुनाव में अपना मजबूत प्रदर्शन दोहराने का वादा किया है। वहीं, एमवीए सत्ता में वापसी के लिए मतदाताओं के बीच सत्तारूढ़ सरकार की नीतियों को निशाना बना रही है।
राजनीति में नकदी का दखल और निष्पक्षता पर सवाल
विपक्ष ने इस जब्ती को लेकर भाजपा और उसके सहयोगियों पर निशाना साधा है। कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया, “यह पैसा मतदाताओं को खरीदने की कोशिश का हिस्सा हो सकता है। भाजपा ने चुनावी नैतिकता को ताक पर रख दिया है।”
भाजपा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे विपक्ष की हताशा करार दिया है। पार्टी प्रवक्ता का कहना है, “हम निष्पक्ष चुनाव के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। जांच एजेंसियां अपना काम कर रही हैं, और सच्चाई जल्द ही सामने आएगी।”
मतदान के बाद क्या बदलेगी तस्वीर?
राज्य में 20 नवंबर को होने वाले मतदान के बाद ही तस्वीर साफ होगी। लेकिन होटल से नकदी की यह बरामदगी और उससे जुड़ी जांच ने मतदाताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया है। चुनाव आयोग की सख्ती और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की कोशिशें अब और अधिक महत्वपूर्ण हो गई हैं।
महाराष्ट्र का यह चुनाव सिर्फ सीटों का नहीं, बल्कि नैतिकता बनाम सत्ता की जंग का प्रतीक बनता जा रहा है। अब देखना यह है कि जनता किसे अपना विश्वास सौंपती है – सत्ता की बागडोर संभाल रहे महायुति को, या फिर वापसी के लिए मैदान में उतरी महा विकास अघाड़ी को।