उपायुक्त डाॅ. सोना थिंड के नेतृत्व में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग किसानों को पराली प्रबंधन के प्रति जागरूक करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है और लोगों को पराली को आग न लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है

मुख्य कृषि अधिकारी डाॅ. धरमिंदरजीत सिंह ने कहा कि खाद विक्रेताओं की दुकानों व गोदामों की जांच के साथ-साथ किसानों को जागरूक करने के लिए जागरूकता कैंप भी लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसान जमीन से अच्छी उपज ले रहे हैं, लेकिन अब पानी, रसायन और उर्वरकों का भी संयमित उपयोग करने की जरूरत है। खेतों में फसलों के निपटान के बाद अवशेषों के प्रबंधन के लिए विभिन्न इन-सीटू और एक्स-सीटू तकनीकों को अपनाया जा सकता है, जिससे मिट्टी के स्वास्थ्य को नुकसान नहीं होता है और उर्वरता बढ़ती है।
उन्होंने उर्वरकों के बारे में बताया कि डीएपी उर्वरक के स्थान पर ट्रिपल सुपर फॉस्फेट उर्वरक, एनपीके (12:32:16) सिंगल सुपर फॉस्फेट एवं अन्य फॉस्फेटिक उर्वरकों का उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि ट्रिपल सुपर फॉस्फेट में डीएपी की तरह 46 प्रतिशत फॉस्फोरस की मात्रा होती है। एनपीके (12:32:16) को डीएपी के विकल्प के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे किसान नई तकनीक अपनाकर प्रगतिशील बन रहे हैं और उन्होंने देश के किसानों के लिए मार्ग प्रशस्त किया है।