मनरेगा योजना के तहत जहां गांवों का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है, वहीं गांव के पुरुषों और महिलाओं को 100 दिनों का सशर्त रोजगार भी प्रदान किया जाता है ताकि गांवों में रहने वाले लोगों का आर्थिक स्तर ऊंचा उठाया जा सके। यह जानकारी डिप्टी कमिश्नर डॉ. सोना थिंद ने जिला प्रशासनिक कांप्लेक्स में विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ मनरेगा के तहत कार्यों को लेकर आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी। उन विभागों के अधिकारियों को आदेश दिया गया कि वे अपने-अपने विभाग के अंतर्गत मनरेगा के तहत होने वाले कार्यों की पहचान कर रिपोर्ट भेजें ताकि मनरेगा मजदूरों को अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध कराया जा सके.

उपायुक्त ने कहा कि जिले में मनरेगा के माध्यम से किये जाने वाले कार्यों पर वर्ष 2024-25 के दौरान 7550 लाख रुपये खर्च करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें से 3947.50 लाख रुपये खर्च किये जा चुके हैं. उन्होंने बताया कि खर्च किये गये बजट में से 3557.01 लाख रूपये श्रम तथा 251.21 लाख रूपये सामग्री पर खर्च किये गये हैं। उन्होंने कहा कि मनरेगा के माध्यम से गांवों में 191 खेल के मैदान बनाये जाने हैं, जिनमें से 23 खेल के मैदान बन कर तैयार हो गये हैं. उन्होंने आगे बताया कि मनरेगा के तहत गांवों में 29 आंगनबाडी केंद्र स्थापित किये जाने हैं, जिसका कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है. उन्होंने कहा कि चालू वित्तीय वर्ष के दौरान मनरेगा के तहत पंजीकृत 107 परिवारों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया गया है।
इस मौके पर अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर (विकास) एस. सुरिंदर सिंह धालीवाल ने सभी खंड विकास एवं पंचायत अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे गांवों के सर्वांगीण विकास के लिए मनरेगा के तहत अधिक से अधिक काम करवाना सुनिश्चित करें ताकि गांवों के सर्वांगीण विकास के साथ-साथ लोगों को रोजगार भी मिल सके। इस मौके पर बीडीपीओ व विभिन्न विभागों के तमाम अधिकारी मौजूद रहे।