
देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता का मतलब ये नहीं है कि हमेशा सरकार के खिलाफ ही फैसले दिए जाएं। मुख्य न्यायाधीश ने लोगों से जजों के फैसलों में विश्वास रखने की अपील की, साथ ही इस बात पर जोर दिया कि न्यायिक व्यवस्था का निष्पक्ष रहना बेहद जरूरी है। दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जब उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड्स के मामले में केंद्र सरकार के खिलाफ फैसला दिया था तो उन्हें निष्पक्ष बताया गया था। सीजेआई ने कहा कि ‘जब आप इलेक्टोरल बॉन्ड्स के मामले में फैसला करते हैं तो तब आप पूरी तरह आजाद हैं, लेकिन अगर आपका कोई फैसला सरकार के पक्ष में चला जाता है तो तब आप आजाद नहीं रह जाते। मेरे हिसाब से स्वतंत्रता की यह परिभाषा नहीं है।’ उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी 2024 को इलेक्टोरल बॉन्ड्स योजना को असंवैधानिक बताते हुए इसे बंद करने का आदेश दिया था। इस योजना के तहत राजनीतिक पार्टियों को फंडिंग मिलने का प्रावधान था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने इस योजना को खारिज कर दिया था। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता का मतलब सरकार के प्रभाव से आजादी है, लेकिन सिर्फ ये ही एक चीज नहीं है, जिससे न्यायापालिका आजाद मानी जाएगी। हमारा समाज बदल गया है। खासकर सोशल मीडिया का इस पर गहरा प्रभाव पड़ा है और अब ऐसे समूह बन गए हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का इस्तेमाल कर अदालतों पर दबाव बनाते हैं और अपने पक्ष में फैसले कराने की कोशिश करते हैं।’ मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कई समूह ऐसे हैं, जो न्यायपालिका की तब ही आजाद मानते हैं, जब उनके पक्ष में फैसला होता है। एक जज को स्वतंत्र होना चाहिए और अपने विवेक के आधार पर फैसले करने चाहिए और बेशक उनके फैसले कानून और संविधान के आधार पर होने चाहिए।