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मुख्य कृषि अधिकारी ने पराली व कूड़े के ढेर में आग न लगाने की अपील की

मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. संदीप रिणवां ने किसानों से अपील की कि धान की पराली को आग लगाने की बजाय खेत में ही जोतने से भूमि की सेहत में सुधार होगा और वायु प्रदूषण भी कम होगा। उन्होंने कहा कि धान की पराली बोझ नहीं बल्कि मिट्टी की सेहत सुधारने के लिए पोषक तत्वों का खजाना है, जिसे जलाने की बजाय खेतों में रखकर गेहूं या अन्य फसलों के साथ लगाना चाहिए। खेतों में धान की पुआल उगाने से उपज बढ़ती है और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है।

उन्होंने कहा कि धान की पराली जलाने से बहुत हानिकारक गैसें निकलती हैं जो बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक हैं। पराली जलाने से खेतों की मिट्टी की सेहत पर तो बुरा असर पड़ता ही है, पर्यावरण भी प्रदूषित होता है। पराली जलाने से निकलने वाले बारीक कण हवा में मिल जाते हैं और दिल, आंख, त्वचा और सांस जैसी कई तरह की भयानक बीमारियों का कारण बनते हैं। बीमारियाँ। वे ऐसी बीमारियाँ पैदा करते हैं जो बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।

उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के कृषि विशेषज्ञों द्वारा मल्चर, हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, स्मार्ट सीडर, कटर कम श्रेडर, रिवर्स प्लो, सरफेस सीडर आदि जैसी कई तकनीकों/मशीनों का विकास किया गया है पराली प्रबंधन से न केवल अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है बल्कि मिट्टी के स्वास्थ्य में भी सुधार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पराली के उचित प्रबंधन के लिए गांव-गांव जाकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है उन्होंने किसान वीरों से अपील करते हुए कहा कि वे पराली न जलाएं बल्कि उसे जमीन में मिलाकर जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि किसान अधिक जानकारी के लिए जिला कृषि अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं.

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