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पंजाब सरकार एक्शन में: पराली जलाने वाले 28 किसानों की रेड एंट्री, पांच पर केस; एनजीटी ने मांगा था जवाब

पटियाला
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की ओर से पराली जलाने की रोकथाम को लगाए उठाए जा रहे कदमों संबंधी जवाब तलबी के बाद पंजाब सरकार एक्शन में आ गई है। पराली जलाने वाले 28 किसानों की रेड एंट्रियां की गई हैं, वहीं पांच के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है। इसके साथ ही किसानों पर 1 लाख 5000 रुपये का जुर्माना भी ठोक दिया गया है।

सरकार पर उठ रही थीं उंगलियां
पराली जलाने की घटनाएं लगातार सामने आने से पंजाब सरकार के एक्शन प्लान को लेकर लगातार उंगलियां उठ रही हैं। इसके चलते अब सरकार एक्शन मोड में आ गई है। किसानों के विरोध के बावजूद सरकार ने पराली जलाने वाले 28 किसानों की रेड एंट्रियां कर दी हैं। रेड एंट्री वाले किसान न तो अपनी जमीन को बेच पाते हैं और न ही इसे गिरवी रख पाते हैं। इसके साथ ही रेड एंट्री होने पर प्रभावित किसान खेती ऋण भी नहीं ले सकता है। इसके साथ ही पांच किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। पराली जलाने के आरोपी किसानों को कुल 1 लाख 5000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

पीपीसीबी के चेयरमैन डा. आदर्शपाल विग ने इसकी पुष्टि करते कहा कि लगाए जुर्माने में से 75 हजार रुपये की रिकवरी भी कर ली गई है। बाकी की भी जल्द रिकवरी कर ली जाएगी। उन्होंने कहा कि पराली जलाने वाले किसानों को किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। आगे भी इसी तरह से कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने एक बार फिर से किसानों को अपील की कि पराली न जलाएं, इससे हवा प्रदूषित होती है और साथ ही खेतों की उपजाऊ शक्ति भी कम होती है। उन्होंने कहा कि इस बार निचले स्तर तक किसानों को पराली प्रबंधन के लिए मशीनें मुहैया कराई जा रही हैं। किसानों को इसका लाभ उठाना चाहिए।
59 मामलों के साथ अमृतसर पहले नंबर पर
शुक्रवार को पंजाब में कहीं पराली नहीं जली। इससे पराली जलाने के कुल मामले 98 ही बने रहे। साल 2022 में भी आज के दिन पराली नहीं जली थी, लेकिन 2023 में 21 मामले हुए थे। पंजाब में पराली जलाने में जिला अमृतसर 59 मामलों के साथ पहले नंबर पर बना है। वहीं 15 सितंबर से लेकर अब तक सात मामलों के साथ जिला गुरदासपुर दूसरे नंबर पर है।

इसके अलावा तरनतारन से छह, फिरोजपुर से चार मामले, जालंधर से भी चार, कपूरथला से छह, एसबीएस नगर से एक, फतेहगढ़ साहिब से भी एक, पटियाला से एक, रूपनगर से भी एक, एसएएस नगर से 5, संगरूर से 3 मामले सामने आए हैं। बारिश के कारण शुक्रवार को पंजाब के शहरों के एक्यूआई में बीते दिनों की अपेक्षा सुधार दर्ज किया गया है। बठिंडा का सबसे अधिक 82, अमृतसर का 68, मंडी गोबिंदगढ़ का एक्यूआई 67, खन्ना का 46, जालंधर का 44, पटियाला का 36 दर्ज किया गया।

रेड एंट्री के फैसले के खिलाफ करेंगे आंदोलन
भारतीय किसान यूनियन एकता डकौंदा के प्रदेश महासचिव जगमोहन सिंह के मुताबिक पंजाब सरकार के रेड एंट्रियों वाले फैसले के खिलाफ अगले हफ्ते किसान जत्थेबंदियों की ओर से बैठक करके संघर्ष के कार्यक्रम का एलान किया जाएगा। किसान नेता ने कहा कि किसान सारे देश के लोगों के पेट भरते हैं, उनके खिलाफ इस तरह की कार्रवाई किसी भी तरह से ठीक नहीं है। पराली की समस्या का हल फसली विविधिकरण से ही होगा। किसान तभी धान को छोड़कर बाकी फसलें लगाएंगे, जब इन फसलों पर धान के बराबर एमएसपी मिले और खरीद की गारंटी केंद्र की ओर से दी जाए।
पंजाब सरकार का एक्शन प्लान
साल 2024 के खरीफ सीजन के लिए सरकार ने पंजाब में हाट स्पाट रहे 663 गांवों को चिन्हित किया है। सरकार के मुताबिक बीते तीन सालों में इन गांवों के करीब 75 फीसदी हिस्से पर पराली जलाई गई है। एक्शन प्लान के मुताबिक विभिन्न विभागों की भागीदारी से इन गांवों में एसडीएम, तहसीलदार, कलस्टर व नोडल अफसरों की निगरानी में पराली जलाने पर रोक लगाई जाएगी। इन सीटू मैनेजमेंट, एक्स सीटू मैनेजमेंट से लेकर इंडस्ट्रीज, थर्मल प्लांटों, ईंट भट्ठों, बायोमास पावर प्लांट में भी पराली के इस्तेमाल को बीते साल 2023 की तुलना में 3.66 लाख टन बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। लक्ष्य है कि इस बार पैदा होने वाली सारी संभावित 19.52 लाख टन पराली का इस्तेमाल किया जाएगा। गांव स्तरों पर 2800 जागरूकता कैंपों के अलावा पराली प्रबंधन मशीनें चलाने की सिखलाई देने को 500 कैंप भी लगेंगे।
वहीं पराली जलाने के मामलों पर मंत्री गुरमीत सिंह खुद्डियां ने कहा कि आग एक-दो जगह लग रही है। हर जगह मशीनें पहुंच गई हैं। किसान भी समझता है कि उसे पराली नहीं जलानी चाहिए। उसे पता है कि इससे मिट्टी की गुणवत्ता कम होती है। हमने करीब 1,37,000 मशीनें दी हैं।

हमने पिछले साल 350 करोड़ रुपये की मशीनरी दी थी और इस बार हम 500 करोड़ रुपये की मशीनरी दे रहे हैं, जिसमें 60% केंद्र सरकार की है और 40% पंजाब सरकार का योगदान है। हमारे पास एक वॉर रूम है और हमारे सभी अधिकारियों ने गांवों में 2000 मीटिंग की हैं। हमने अपने अधिकारियों से कहा है कि वे लोगों को जागरूक करें ताकि किसान समझें कि पराली नहीं जलानी चाहिए। हमने एक ऐप लॉन्च किया है जिसमें अगर किसी किसान को पराली काटनी है तो वह हमसे मदद ले सकता है।

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