पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि पति से छिप कर किसी अन्य व्यक्ति से बात करना पत्नी की शारीरिक व मानसिक क्रूरता है। हाईकोर्ट ने तलाक के फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ पत्नी की अपील को खारिज करते हुए की है।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पति और पत्नी का रिश्ता विश्वास पर आधारित होता है और यदि एक पति या पत्नी दूसरे पर विश्वास खो देता है, तो वे एक छत के नीचे साथ नहीं रह सकते। हाईकोर्ट ने कहा कि दंपती 4 नवंबर, 2018 से अलग रह रहे थे और लंबे समय तक अलग रहना तलाक के लिए अहम कारक है। इस दौरान वैवाहिक संबंधों को फिर से शुरू करने का कोई प्रयास नहीं किया, जो स्पष्ट रूप से विवाह के अपूरणीय टूटने का संकेत देता है।
पति ने दावा किया है कि उसने अपनी पत्नी पर पूरी तरह से विश्वास खो दिया है। पत्नी ने महिला सेल में शिकायत देकर ससुर पर कई मौकों बार यौन शोषण करने का आरोप लगाया और कहा गया कि उसके ससुर के मन में उसके प्रति बुरी नीयत है, लेकिन फैमिली कोर्ट ने आरोपों को निराधार पाया, जिससे पत्नी का मामला और कमजोर हो गया।
हाईकोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट ने गवाहों द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों की जांच करने के बाद पत्नी के विवाहेतर संबंध से इन्कार करने पर विश्वास नहीं किया। उसने माना कि अपीलकर्ता- पत्नी की तरफ से किसी अन्य व्यक्ति को गुप्त फोन कॉल करना मानसिक और शारीरिक क्रूरता के बराबर है।
हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी का व्यवहार, विशेष रूप से अपने ससुर के खिलाफ गंभीर और निराधार आरोप, उसके पति और उसके परिवार के लिए संभावित खतरा पैदा करते हैं। अगर विवाह जारी रहता है, तो इससे और अधिक नुकसान हो सकता है। हाईकोर्ट ने चिंता व्यक्त की कि यदि तलाक नहीं दिया गया तो पत्नी के आचरण का बच्चों पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। इसी के साथ कोर्ट ने पत्नी की अपील को खारिज करते हुए पारिवारिक न्यायालय के तलाक के आदेश को बरकरार रखा है।