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पराली जलाने की प्रथा को खत्म करने के लिए आगे आएं किसान: परनीत शेरगिल

  • बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए जन आंदोलन चलाने के लिए प्रेरित किया
  • 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी पर दी जा रही कृषि मशीनरी से पराली में आग लगाने की प्रथा को खत्म किया जा सकता है।

*जिले से पराली जलाने की प्रथा को खत्म करने के लिए डिप्टी कमिश्नर परनीत शेरगिल ने फील्ड में जाकर किसानों से बातचीत की.

दिन-ब-दिन बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण हम सभी के लिए गंभीर चिंता का विषय है और अगर हम अब भी इस बढ़ते प्रदूषण को खत्म करने के लिए जागरूक नहीं हुए तो आने वाली पीढ़ियों को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

ये विचार डिप्टी कमिश्नर श्रीमती परनीत शेरगिल ने जिले से पराली जलाने की प्रथा को खत्म करने के लिए गांव जटाना ऊंचा, जटाना नीवान, फरोर, हरगाना और खेड़ी नोध सिंह के किसानों के साथ बातचीत करते हुए व्यक्त किए।

उन्होंने किसानों से कहा कि वे सरकार द्वारा व्यक्तिगत किसानों को 50 प्रतिशत और किसान समूहों को 80 प्रतिशत की सब्सिडी पर दी जाने वाली कृषि मशीनरी का अधिक से अधिक उपयोग करें, क्योंकि इन मशीनों से पराली को आग लगाने की प्रथा को खत्म किया जा सकता है , भूमि की उर्वरता में वृद्धि होती है। उन्होंने किसानों से अपील की कि किसान पराली में आग लगाने की प्रथा को खत्म करने के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपये की सब्सिडी पर दी गई मशीनों का अधिक से अधिक उपयोग करें।

उपायुक्त ने कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, जीरो टिल ड्रिल, बेलर, रेक, चॉपर अनुदान पर दिए जा रहे हैं। इन मशीनों के इस्तेमाल से पराली को आसानी से खेत में ही मिलाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जिले में पराली जलाने की घटनाओं में काफी कमी आई है और अगर किसान इसी तरह सहयोग देते रहे तो आने वाले समय में शहीदों की धरती फतेहगढ़ साहिब से इस प्रथा को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है

उन्होंने कहा कि इस बार आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए ग्राम स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं, जो पराली में आगजनी की घटनाओं पर कड़ी नजर रखेंगे। इसके अलावा पराली जलाने की घटनाओं को रोकने में अपनी भूमिका निभाने के लिए संबंधित थाना अध्यक्षों की भी जिम्मेदारी तय की गई है.

इस अवसर पर किसान संगठनों ने पराली प्रबंधन के लिए उर्वरक उपलब्ध कराने तथा आधुनिक कृषि यंत्र सहकारी समितियों के माध्यम से उपलब्ध कराने की मांग की, जिस पर उपायुक्त ने आश्वासन दिया कि सहकारी समितियों के माध्यम से उर्वरकों की आपूर्ति बढ़ाई जाएगी तथा जिम्मेदार किसान पराली प्रबंधन के लिए मशीनें लेनी होंगी, वे ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

इस अवसर पर मुख्य कृषि अधिकारी डाॅ. धरमिंदरजीत सिंह सिद्धू ने कहा कि धान की पराली को खेत में मिलाने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और जिंक और मैंगनीज जैसे कई सूक्ष्म तत्वों की भी आपूर्ति होती है. उन्होंने किसानों से धान कटाई के दौरान एसएमएस का उपयोग करने की अपील की। का प्रयोग करना चाहिए, जिससे खेतों में बिना आग लगाए सुपर सीडर से आसानी से गेहूं की बुआई की जा सके।

इस अवसर पर कृषि विकास अधिकारी दमन झांजी ने बताया कि जिले में जिन किसानों ने सुपर सीडर मशीन के लिए आवेदन किया था उन सभी के मामले सरकार द्वारा स्वीकृत कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि किसानों के बीच सुपर सीडर मशीन की बढ़ती मांग को देखते हुए सरकार द्वारा पोर्टल को दोबारा खोला जा रहा है ताकि अधिक से अधिक किसान इस योजना से लाभान्वित हो सकें.

इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त (ज) श्रीमती ईशा सिंगल, एस.डी.एम. खमाणों श्रीमती मनरीत राणा, तहसीलदार खमाणों श्री गुरदीप सिंह, डी.एस.पी. खमाणो श्री मंजीत सिंह, बी.डी.पी.ओ खमाणों से श्रीमती परमवीर कौर के अलावा विभिन्न विभागों के अधिकारी और बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे।

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