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Jammu-Kashmir: विधानसभा चुनाव को लेकर सेना की बड़ी तैयारी, आतंक प्रभावित इलाकों में लगाई जाएगी अतिरिक्त फोर्स

सरकार जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है। चुनाव आयोग ने जम्मू कश्मीर की सभी 90 विधानसभा सीटों के लिए तैयारियां पूरी कर ली हैं। वहीं, जम्मू में बढ़ रहीं आतंकी वारदातों को देखते हुए सरकार अतिरिक्त तैयारियां भी कर रही है। सरकार ने जम्मू के आतंक प्रभावित क्षेत्रों में सेना की अतिरिक्त तैनाती करने का फैसला किया है।

सैन्य सूत्रों ने बताया कि जम्मू सेक्टर में बढ़ते आतंकी हमलों के बाद, भारतीय सेना पीर पंजाल के दक्षिण में सैनिकों की संख्या बढ़ाने पर विचार कर रही है। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव आखिरी बार दस साल पहले 2014 में हुए थे। इस चुनाव में किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिल सका था।

वहीं पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बदल दिया गया था। अनुच्छेद 370 हटने के बाद ये जम्मू-कश्मीर के पहले विधानसभा चुनाव होंगे।

रक्षा मंत्रालय में हुई उच्च स्तरीय बैठक
पिछले कुछ दिनों से जम्मू सेक्टर में आतंकी वारदातों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। जम्मू के कठुआ, भद्रवाह, डोडा, रियासी, राजोरी-पुंछ और उधमपुर जिलों में आतंकी हमले हुए हैं। सुरक्षा बलों ने आतंकियों की तलाश में तलाशी अभियान भी चलाया हुआ है। वहीं जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनावों के चलते सरकार अतिरिक्त सर्तकता बरत रही है। सैन्य सूत्रों ने बताया कि चुनावों को देखते हुए जम्मू के आतंक प्रभावित क्षेत्रों में सेना की अतिरिक्त तैनाती की जाएगी।

भारतीय सेना पीर पंजाल के दक्षिण में सैनिकों की संख्या बढ़ाने की तैयारी कर रही है। बुधवार को चुनावी तैयारियों और आतंकी हमलों की समीक्षा को लेकर रक्षा मंत्रालय में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई थी। सूत्रों ने बताया कि सेना नियंत्रण रेखा के नजदीक निगरानी के लिए ड्रोन समेत टेक्नोलॉजी के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल की योजना बना रही है, ताकि आतंकियों की घुसपैठ पर नजर रखी जा सके।

सेना और बीएसएफ के 5000 से ज्यादा जवानों की तैनाती
सूत्रों ने बताया कि चुनाव की तारीखों से पहले ही जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों को तैनात करने का काम शुरू कर दिया है। साथ ही, भारतीय सेना ने पीर पंजाल के दक्षिण में आतंकी हमलों में हो रही बढ़ोतरी को देखते जम्मू क्षेत्र में अतिरिक्त यूनिटों की तैनाती भी शुरू कर दी है।

सूत्रों ने बताया कि जम्मू क्षेत्र में सेना और बीएसएफ के 5000 से अधिक अतिरिक्त जवान तैनात किए जा रहे हैं। वहीं भारतीय सेना की असम राइफल्स की 2 यूनिटों ने जम्मू में कमान संभालना शुरू कर दिया है। मणिपुर से असम राइफल्स की 2 बटालियनें जम्मू क्षेत्र में भेजी जाएंगी। इसके अलावा बीएसएफ की दो अतिरिक्त बटालियन भी तैनात की जाएंगी।

जम्मू क्षेत्र में सुरक्षा ग्रिड को मजबूत
सैन्य सूत्रों ने बताया कि जम्मू क्षेत्र में सुरक्षा ग्रिड को मजबूत करने के लिए 3000 अतिरिक्त सेना जवानों और 2000 बीएसएफ कर्मियों को भी तैनात किया गया था। इसके अलावा सरकार ने ओडिशा से सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की दो बटालियनों को भारत-पाकिस्तान सीमा पर आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र में तैनात करने का आदेश दिया है।

सूत्रों के अनुसार, जम्मू क्षेत्र में हाल में हुए आतंकी हमलों को देखते हुए दोनों बटालियनों को नक्सल विरोधी अभियान ग्रिड से तत्काल जम्मू भेजने का फैसला लिया गया है। इन दोनों बटालियन को अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पहले से अग्रिम मोर्चे पर तैनात बीएसएफ के पीछे तैनात किया जाएगा।

सूत्रों ने बताया कि पहले जम्मू के शांत इलाकों से सुरक्षा बलों को हटाकर कश्मीर भेजा गया था, जिसका असर घाटी में दिखाई दिया था। जिसके बाद वहां आतंकवाद पर शिकंजा कस गया। अब घाटी में आतंकियों पर दबाव है। कुछ कर नहीं पा रहे, इसलिए कश्मीर का दबाव कम करने के लिए जम्मू में हमले कर रहे हैं।

अभी तक 67 दिनों में 17 हमले
बता दें, कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरी बार सत्ता संभालने के बाद से अभी तक 67 दिनों में 17 हमले हो चुके हैं। इन हमलों में अभी तक 18 सैनिक शहीद हो चुके हैं, जबकि 26 सैनिक घायल हुए हैं। वहीं, जम्मू-कश्मीर में जून से अभी तक 11 नागरिक भी मारे जा चुके हैं। 31 जुलाई तक के आंकड़ों के मुताबिक 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद वहां केवल 3 आतंकी वारदातें हुई थीं, जिसमें 3 आतंकी मारे गए थे।

वहीं, 2020 में 14 आतंकी वारदातें हुईं, जिनमें 18 आतंकी मारे गए। इन हमलों में 1 सुरक्षा कर्मी शहीद हुआ। 2021 में 21 आंतकी हमलों में 11 आतंकी मारे गए और 14 सुरक्षा कर्मियों की मृत्यु हुई। साल 2022 में 19 आतंकी हमलों में 14 आतंकी मौत के घाट उतार दिए। वहीं, पांच सुरक्षा कर्मी शहीद हुए। 2023 में कुछ 23 आतंकी हमले हुए, जिनमें 22 आतंकी मारे गए। इन हमलों में 20 सुरक्षा कर्मियों की मौत हुई।

जबकि, 2024 में 31 जुलाई तक 13 आतंकी हमले हो चुके हैं। आतंकरोधी कार्रवाई में 5 आतंकी मारे गए। वहीं आतंकियों का मुकाबले करते हुए 13 जवानों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।

2018 के बाद पहले विधानसभा चुनाव
बता दें, कि जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार विधानसभा चुनाव दस साल पहले 2014 में हुए थे। इस चुनाव में किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था और भाजपा के साथ मिल कर पीडीपी की महबूबा मुफ्ती ने गठबंधन सरकार बनाई थी। वहीं, जून 2018 में भाजपा ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। जिसके बाद वहां राज्यपाल शासन लगा दिया गया था। उसके बाद 2019 में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया था। और जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बदल दिया गया। वहीं 370 हटने के बाद वहां ये पहले विधानसभा चुनाव होंगे।

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