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Ludhiana: रेप पीड़िता मासूम को 24 घंटे नहीं मिला ब्लड, CMO सहित 4 डॉक्टरों पर एएसआई से दुर्व्यवहार का आरोप


लुधियाना सिविल अस्पताल में अदालत के आदेश पर गर्भपात के लिए भर्ती हुई 13 वर्षीय रेप पीड़ित बच्ची को करीब 24 घंटे तक ब्लड ही नहीं मिला। बच्ची के परिजन ब्लड के लिए अस्पताल परिसर में इधर उधर भटकते रहे, लेकिन किसी ने उनकी एक नहीं सुनी।

हालांकि ब्लड बैंक में पर्याप्त मात्रा में खून का स्टॉक उपलब्ध था, लेकिन फिर भी बच्ची के परिजनों को डोनर का प्रबंध करने को बोला गया। देर शाम मामला बिगड़ता देख डॉक्टरों ने बच्ची को ब्लड मुहैया करवा दिया। सेहत विभाग के अधिकारी अपने स्टाफ के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने की बजाय मामले को दबाने की कोशिश में जुट गए।

नहीं दिया ब्लड बच्ची की मां ने बताया कि बच्ची में मात्र 6 ग्राम खून था। उसे बी पॉजिटिव ग्रुप का ब्लड चढ़ना था। डॉक्टरों ने बच्ची को खून चढ़ाने की बात कही और परिजनों को वीरवार को खून का प्रबंध करने भेज दिया। वह ब्लड बैंक में खून लेने गए तो उनको स्टाफ ने डोनर लाने की बात कहकर वापस लौटा दिया। बच्ची की मां का कहना था कि वह अपनी बच्ची को संभालें या फिर उसे छोड़कर डोनर ढूंढने जाएं। उसके मुताबिक ब्लड बैंक में लगभग 124 यूनिट खून उपलब्ध होने के बावजूद स्टाफ ने बच्ची को ब्लड नहीं दिया। वह अपनी गुहार लेकर एसएमओ ऑफिस पहुंचे और कई घंटे तक एसएमओ ऑफिस के बाहर खड़े रहे, लेकिन उनको स्टाफ ने एसएमओ से भी नहीं मिलने दिया।

इसके बाद परिजनों ने थाना मेहरबान में मामले के जांच अधिकारी एएसआई राधे श्याम को फोन करके अपनी परेशानी बताई। राधेश्याम ने ब्लड बैंक से खून का स्टॉक पता करवाया और सच्चाई पता चलते ही डॉक्टर से फोन पर बात करवाने को कहा, लेकिन डॉक्टर ने बात करने से मना कर दिया। इसके बाद एएसआई राधे श्याम ने सिविल अस्पताल पहुंचकर डॉक्टर को अदालत के आदेश दिखाए तो वह उसपर भड़क गई और बुरा भला बोलते हुए आदेश की कॉपी लेकर चली गई।

राधे श्याम के मुताबिक वह शिकायत करने एसएमओ ऑफिस पहुंचे तो वहां पर एसएमओ के साथ मौजूद एक और एसएमओ व डॉक्टर ने एक महिला डॉक्टर को बुला लिया। महिला डॉक्टर अंदर आते ही उसे बुरा भला बोलने लगी और उसपर जूनियर डॉक्टर को धक्के मारने का आरोप लगा दिया। राधे श्याम ने बताया कि उसके साथ दो एसएमओ सहित कुल 4 डॉक्टरों ने दुर्व्यवहार किया, जिसके बाद वह थाने वापस लौट आया और पूरे मामले को डीडीआर (रोजनामचे) में दर्ज कर दिया।

कोट हमने बच्ची को ब्लड उपलब्ध करवा दिया है। पुलिस कर्मीं जब मेरे ऑफिस में आया तो काफी गुस्से में था और ऊंची आवाज में बोल रहा था। इस वजह से मामूली कहासुनी हुई है। पुलिस कर्मीं या बच्ची के परिजनों के साथ किसी ने भी दुर्व्यवहार नहीं किया है। हमारे स्टाफ के साथ एएसआई ने बदतमीजी की है। – डॉ. मनदीप सिद्धू, एसएमओ, सिविल अस्पताल, लुधियाना।

मुझे नौकरी से निकलवाने की धमकी दी गई है। मैने शीर्ष अधिकारियों को मामले की सूचना दे दी है। सिविल अस्पताल के कैमरों में पूरी घटना रिकार्ड है। हमने पत्र लिखकर सीसीटीवी फुटेज मांगी है। दुर्व्यवहार के सबूत एकत्रित करके कार्रवाई के लिए भेजे जा रहे हैं। – राधे श्याम, एसएसआई, थाना मेहरबान, लुधियाना।

हमारे अफसरों के खिलाफ डीडीआर नहीं लिखनी चाहिए थी। अगर कोई दिक्कत थी तो मामले को हमारे ध्यान में लाना चाहिए था। – डॉ. जसबीर सिंह, सिविल सर्जन, लुधियाना

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