चंडीगढ़ : पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ पति की अपील को स्वीकार करते हुए तलाक का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी की शिकायत पर दर्ज एफआईआर में यदि पति जेल जाता है तो यह पत्नी की क्रूरता है, पति तलाक का हकदार है और पत्नी क्रूरता के लिए गुजारा भत्ते की पात्र नहीं है।
पति ने याचिका में बताया कि वह और उसकी पत्नी 19 साल से अलग-अलग रह रहे हैं और क्रूरता मामले में याची को जेल होने के बाद अब वह अपनी पत्नी के साथ नहीं रह सकता। याचिका का विरोध करते हुए पत्नी ने तर्क दिया कि वह अभी भी उसके साथ रहने के लिए तैयार है।
हाईकोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट ने तलाक के आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि पत्नी ने 2007 में वैवाहिक अधिकारों की पुनर्स्थापना के लिए याचिका दायर की थी। कोर्ट ने पत्नी के क्रूरता के कृत्य को माफ कर दिया था। साथ ही पत्नी के खिलाफ लगाए गए क्रूरता के आरोप अप्रमाणित रहे, जबकि न्यायालय ने यह नहीं देखा कि वास्तव में पत्नी की ओर से क्रूरता हुई।

यदि न्यायालयों को लगता है कि व्यावहारिक रूप से उनके साथ रहने की कोई संभावना नहीं है तथा विवाह पूरी तरह से टूट चुका है, जैसा कि वर्तमान मामले में देखा गया है, तो तलाक का आदेश दिया जाना चाहिए। वर्तमान मामले में, विवाह का भावनात्मक आधार पूरी तरह से खत्म हो चुका है। यह देखते हुए कि बेटी के विवाह के बाद, माता-पिता दोनों ही बेटी की जरूरतों को ध्यान में रखने तथा उसे प्यार और स्नेह देने के लिए बाध्य होंगे, हाईकोर्ट ने याची को बेटी का विवाह होने तक उसे 10,000 रुपये मासिक भुगतान करने का निर्देश दिया।