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धोनी को अपना आदर्श मानने वाले स्वप्निल ने पेरिस में मचाया धमाल, रेलवे में हैं टिकट कलेक्टर

नई दिल्ली
भारतीय निशानेबाज स्वप्निल कुसाले ने गुरुवार को पेरिस ओलंपिक में कमाल करते हुए 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन के फाइनल में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया। कुसाले ने 451.4 का कुल स्कोर किया और तीसरे स्थान पर रहते हुए देश को एक और पदक दिला दिया। यह पहली बार है जब भारत को इस स्पर्धा में ओलंपिक पदक मिला है। इसके साथ ही भारत को अब तक तीनों पदक निशानेबाजी में ही मिले हैं जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। पेरिस खेलों में धमाल मचाने वाले स्वप्निल ने बताया था कि वह पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को अपना आदर्श मानते हैं और उन्हीं की तरह रेलवे में टिकट कलेक्टर हैं।

स्वप्निल क्वालिफिकेशन राउंड में 590 के स्कोर के साथ सातवें स्थान पर रहे थे, लेकिन फाइनल में उन्होंने दमदार प्रदर्शन किया और कांस्य पदक जीतने में सफल रहे। इस स्पर्धा में तीन पोजिशन में शूटर्स को निशाना लगाना होता है। इनमें नीलिंग यानी झुककर/बैठकर, लेट कर और खड़े होकर निशाना लगाना होता है। स्वप्निल बताते हैं कि उन्हें किसी भी परिस्थिति में खुद को शांत रखने की प्रेरणा धोनी से मिली है।

ओलंपिक पदार्पण के लिए करना पड़ा 12 साल का इंतजार
महाराष्ट्र के कोल्हापुर के कंबलवाड़ी गांव के रहने वाले 29 वर्ष के कुसाले 2012 से अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेल रहे हैं लेकिन ओलंपिक पदार्पण के लिए उन्हें 12 साल इंतजार करना पड़ा। इस दौरान उन्होंने खुद को शांत रखने के लिए धोनी की कहानी पर बनी फिल्म कई बार देखी। कुसाले ने बताया कि वह भी धोनी की तरह टिकट कलेक्टर हैं। उन्होंने कहा, मैं निशानेबाजी में किसी खास खिलाड़ी से मार्गदर्शन नहीं लेता, लेकिन अन्य खेलों में धोनी मेरे पसंदीदा हैं। मेरे खेल में भी शांतचित रहने की जरूरत है और वह भी मैदान पर हमेशा शांत रहते थे। वह भी कभी टीसी थे और मैं भी हूं।
मनु को देखकर मिला आत्मविश्वास
कुसाले 2015 से मध्य रेलवे में काम करते हैं। उनके पिता और भाई जिला स्कूल में शिक्षक हैं और मां गांव की सरपंच हैं। उन्होंने अपने प्रदर्शन पर कहा , अभी तक अनुभव बहुत अच्छा रहा है। मुझे निशानेबाजी पसंद है और मुझे खुशी है कि इतने लंबे समय से कर पा रहा हूं। मनु भाकर को देखकर आत्मविश्वास आया है। वह जीत सकती है तो हम भी जीत सकते हैं।

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