चंडीगढ़

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को चालू वित्त वर्ष का पूर्ण बजट पेश किया। इस बजट में पंजाब के लिए उम्मीद मुताबिक तो कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई है, लेकिन बजट में अमृतसर-कोलकाता इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का जिक्र किया गया है। जिससे इस परियोजना पर एक बार फिर से काम तेज होने की उम्मीद जगी है। कॉरिडोर से पंजाब समेत कई राज्यों में औद्योगिक विकास तेज रफ्तार पकड़ेगा और साथ ही रोजगार के भी नए अवसर पैदा होंगे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में इस परियोजना को शामिल करने की घोषणा करते हुए कहा कि ये परियोजना विकास और विरासत को बनाए रखने में विशेष योगदान देगी। ये भारत के उद्योग को एक नये आयाम पर लेकर जाएगी। इसके तहत बिहार के गया में औद्योगिक केंद्र बनाया जाएगा।
औद्योगिक केंद्रों में सोलर, प्लांट, लाजिस्टिक हब व इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर तैयार करने की योजना है। निर्माण के लिए राज्य सरकारों द्वारा भूमि दी जाएगी और व्यवस्थागत ढांचा और सुविधाएं केंद्र सरकार की तरफ से प्रदान की जाएगी।
जिन राज्यों से कॉरिडोर गुजरेगा, उनको मिलेगा लाभ
जिन राज्यों से ये कॉरिडार होकर गुजरेगा, उन सभी को इसका लाभ मिलेगा। प्रोजेक्ट के लिए 1839 किलोमीटर का ट्रैक बनाया जाएगा। इसमें 20 बड़े जिले अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, अंबाला, सहारनपुर, दिल्ली, रूड़की, हरिद्वार, देहरादून, मेरठ, मुज्जफरनगर, बरेली, अलीगढ़, कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, गया, बोक्कारो, हजारीबाग, धनबाद, आसनसोल, दुर्गापुर, वर्धमान शामिल होंगे। इन जिलों के लोगों को रोजगार के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में वहीं पर रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। कॉरिडोर में आने वाले सभी जिलों को ही इंडस्ट्री हब माना जाता है।
पिछले काफी समय से इस परियोजना पर काम चल रहा है, लेकिन मुख्य रूप से वर्ष 2014 में कॉरिडार में काम शुरु हुआ। राज्य की तरफ से प्रोजेक्ट के लिए प्रस्ताव तैयार किए गए, जिसके चलते परियोजना में देरी होती गई है।
पंजाब में होगा ये फायदा
कॉरिडोर बनने से पंजाब में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। विशेष रूप से विनिर्माण, कृषि प्रसंस्करण, सेवाओं और निर्यात इकाइयों में निवेश को प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगा। उच्च मानक बुनियादी ढांचे और एक सक्षम कारोबारी माहौल के निर्माण में मदद मिलेगी। कॉरिडोर के दोनों ओर 150-200 किलोमीटर के बैंड को विकसित करने का प्रस्ताव है। पंजाब के साथ ही हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के सात राज्यों में इसका प्रभाव रहेगा। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ (बीबीएन) क्षेत्र कॉरिडोर से लगभग 70 किलोमीटर दूर स्थित है। इस तरह इस एरिया को भी कॉरिडोर का लाभ मिलेगा।