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हथियारों के फर्जी लाइसेंस बनाता था गिरोह: तरनतारन सेवा केंद्र में चल रहा था फर्जीवाड़ा, डीसी आफिस से जुड़े तार

तरनतारन के सेवा केंद्र का जिला मैनेजर सूरज भंडारी, डीसी आफिस के कुछ अधिकारियों के साथ मिलकर हथियारों के फर्जी लाइसेंस का बड़ा नेटवर्क चला रहा था। तरनतारन पुलिस ने इस नेटवर्क का पर्दाफाश किया है।

पुलिस ने सूरज के तीन साथियों को गिरफ्तार कर उनके ठिकाने से 24 फर्जी असलहा लाइसेंस, तीन मोबाइल असला लाइसेंस की खाली कॉपियां और सरकारी स्टीकर बरामद किए हैं।

इस नेटवर्क का मास्टरमाइंड सूरज भंडारी अपने साथी राघव कपूर के साथ फरार बताया जा रहा है। उक्त आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद डीसी ऑफिस में हड़कंप मच गया है। एसएसपी अश्विनी कपूर ने बताया कि इस नेटवर्क का पर्दाफाश करने में उनकी टीम को 2 महीने का वक्त लगा है। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान पवनदीप सिंह उर्फ मंत्री निवासी गांव मल्लियां, शमशेर सिंह निवासी झंडेर और गुरमीत सिंह निवासी फैलोके के रूप में हुई है, जबकि नेटवर्क का मास्टरमाइंड और सेवा केंद्र का जिला प्रबंधक सूरज भंडारी निवासी गांव कीड़ी शाह और राघव कपूर निवासी जसपाल नगर अमृतसर फरार हैं।

कई लाइसेंस धारक खरीद चुके हैं गन
आरोपियों द्वारा बनाए इस फर्जी लाइसेंस पर किसी को शक नहीं होता था और यहां तक कि गन हाउस से भी इस लाइसेंस के आधार पर गन हाउस मालिक लाइसेंस धारक को हथियार बेच देते थे। माना जा रहा है कि उक्त आरोपी अब तक 300 के लगभग फर्जी लाइसेंस बना चुके हैं जिन पर लाइसेंस धारक हथियार भी गन हाउस से खरीद चुके हैं।
डेढ़ से दो लाख रुपये लेते थे आरोपी
एसपी अश्विनी कपूर ने उन लोगों से अपील की है कि वह अपने लाइसेंस पुलिस को जमा करवाकर हथियार भी वापस कर दें, नहीं तो उन पर भी गाज गिर सकती है। एक लाइसेंस बनाने के उक्त आरोपी डेढ़ से दो लाख रुपये तक लेते थे। इसमें से एक लाख रुपये सूरज भंडारी लेता था और बाकी आपस में बांट लिए जाते थे।

एसएसपी अश्वनी कपूर ने बताया कि लोकसभा चुनाव के दौरान उनके ध्यान में आया था कि जिले में डीसी आफिस से जुड़े कुछ लोग फर्जी लाइसेंस बनाने का कारोबार कर रहे हैं और उसी दिन से उन्होंने एक टीम गठित करके इस नेटवर्क को तोड़ने की कोशिश शुरू कर दी थी और जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी तो उक्त आरोपियों के नाम सामने आने शुरू हो गए। इसी दौरान पवनदीप सिंह उर्फ मंत्री शमशेर सिंह और गुरमीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया और उनके ठिकाने से फर्जी लाइसेंस भी बरामद हुए। पूछताछ के बाद कई और नाम भी सामने आए हैं। एसएसपी अश्विनी कपूर ने बताया कि सूरज भंडारी डीसी ऑफिस के कुछ कर्मचारियों के साथ मिलकर उक्त नेटवर्क चला रहा था। फिलहाल सूरज भंडारी फरार है, जिसकी गिरफ्तारी के बाद कई और चेहरों के साथ-साथ इस नेटवर्क से जुड़े कई और राज सामने आएंगे।

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