नई दिल्ली : नीट परीक्षा के रिजल्ट पर देशभर में घमासान जारी है। इस परीक्षा के आयोजन और रिजल्ट अब भी कटघरे में है। जब सवाल उठे तो नेशनल टेस्टिंग जांच एजेंसी (एनटीए) ने अपने बचाव में कई तर्क रखे जो बच्चों की दलीलों के सामने टिक नहीं पाए। अपने भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। जिम्मेदारों कैसे पल में पलट जाते हैं, उसकी एक बानगी देखिए…सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने से पहले ही एनटीए ने ग्रेस मार्क्स वाले परीक्षार्थियों को दोबारा परीक्षा देने का विकल्प दे दिया।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले जब एनटीए ने यह माना कि ग्रेस मार्क्स गलत थे और हम उन्हें हटाने जा रहे हैं। इस पर लोगों ने एटीए निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है। छात्र-छात्राओं का एक बड़ा वर्ग अब भी परीक्षा में भ्रष्टाचार को लेकर परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहा है। हालांक सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। सरकार के मंत्री अब भी इस बात पर अड़े हैं कि परीक्षा और रिजल्ट में कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ।
सुप्रीम कोर्ट में NEET-UG 2024 परीक्षा की सुनवाई पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “…अभी जो मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है…सरकार ने भी उसमें अपना पक्ष रखा है…सरकार उसका सामना करने के लिए, उसका संतुष्टि के साथ बच्चों को उत्तर देने के लिए बहुत प्रमाणिकता के साथ खड़ी है…जो घटना सामने आई है, सरकार ने उसको गंभीरता से लिया है…NTA देश में 3 बड़ी परीक्षाएं (NEET, JEE और CUET) सफलतापूर्वक आयोजित करता है…निश्चित रूप से दोषियों को दंड दिया जाएगा।
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा, “कांग्रेस पार्टी का मानना है कि NEET परीक्षा की जांच की मांग के प्रति भाजपा सरकार का रवैया गैरजिम्मेदाराना और असंवेदनशील है। हम इस पूरे घोटाले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग करते हैं… इससे करीब 24 लाख छात्र प्रभावित हुए हैं…NEET घोटाले पर ध्यान देने के बजाय, प्रधानमंत्री मोदी शपथ समारोहों में भाग लेने और विदेश यात्राओं पर जाने में व्यस्त हैं। INDIA गठबंधन इन छात्रों के मुद्दे को उठाएगा क्योंकि यह हमारी जिम्मेदारी है।
कांग्रेस इस मामले में CBI जांच चाहती है। यदि सरकार CBI जांच के लिए तैयार नहीं है तो हम सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच हो। हमने अलग-अलग रिकॉर्डिंग सुनी है कि कैसे लाखों रुपए मांगे जा रहे हैं। एक ही सेंटर में बच्चों को एक जैसे नंबर मिल रहे हैं।इस मामले पर सरकार का रवैया कमजोर रहा और वो इस मुद्दे से भाग रहे हैं।लेकिन देश के मुद्दों को उठाना विपक्ष का कर्तव्य है और हम सदन के अंदर अपने 24 लाख छात्रों की आवाज जोर-शोर से उठाएंगे।
बहरहाल एनटीए अब भी सवालों के घेरे में है। इन सवालों के जवाब देने और सच बोलने की बजाय एनटीए नए-नए तर्क पेश कर रहा है जो परीक्षार्थियों के सवालों के सामने टिक नहीं पा रहे हैं। परीक्षा से जुड़े लोगों का मानना है कि इस लड़ाई में किसी की जीत नहीं हुई है। यहां परीक्षा देने वाले, परीक्षा लेने वाले और पूरा सिस्टम ही हार गया है। एनटीए आयोजकों व सरकार को बच्चों का भविष्य खराब करने की बजाय जल्दी सही और सच्चा निर्णय लेवे ताकि नीट जैसी परीक्षाओं पर लोगों का विश्वास बना रह सके।