झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से एक बार फिर राहत नहीं मिली। अदालत ने सोरेन की अंतरिम जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। साथ ही कड़ी फटकार लगाई। इसके बाद सोरेन के वकील ने अपनी याचिका वापस ले ली। दरअसल, सोरेन ने हाल ही में कोर्ट में याचिका दायर कर लोकसभा चुनाव के मद्देनजर खुद के लिए जमानत मांगी थी। हालांकि, अब यह साफ हो गया है कि कथित जमीन घोटाले में गिरफ्तार हेमंत सोरेन इस लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी के लिए प्रचार नहीं कर पाएंगे। सोरेन को ईडी ने इसी साल 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था।

महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया: अदालत
शीर्ष अदालत ने सोरेन की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। साथ ही सच को दबाने के लिए फटकार लगाई। अदालत ने पाया कि उन्होंने निचली अदालत में जमानत याचिका दायर की थी। कोर्ट ने सोरेन की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल से कहा, ‘आपका आचरण काफी कुछ कहता है, हमें उम्मीद थी कि आपके मुवक्किल स्पष्टता के साथ आएंगे, लेकिन आपने महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया। याचिका के गुण-दोष पर विचार किए बगैर गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका खारिज करेंगे। यदि अदालत मेरिट पर गौर करेगी तो पूर्व मुख्यमंत्री के लिए ही नुकसानदेह होगा।’
तथ्यों को छिपाने पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से नाराजगी जाहिर करने के बाद कपिल सिब्बल हेमंत सोरेन की ओर से दायर गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका वापस ले ली। सिब्बल ने यह कहकर सोरेन का बचाव किया कि वह हिरासत में हैं और अदालतों में दायर की जा रही याचिकाओं की उन्हें जानकारी नहीं है। इस पर बेंच ने सिब्बल से कहा, ‘आपका आचरण बेदाग नहीं है।’ बेंच ने यह भी कहा कि वह (सोरेन) कोई साधारण व्यक्ति नहीं।
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कल भी हुई थी सुनवाई
इससे एक दिन पहले 21 मई को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपी सोरेन की अंतरिम जमानत की अर्जी पर सुनवाई के दौरान सवाल किया था कि अगर ट्रायल कोर्ट ने मामले में संज्ञान लेकर जमानत को खारिज कर दिया है तो क्या गिरफ्तारी की वैधता का परीक्षण हो सकता है? कोर्ट ने हेमंत सोरेन के वकील से पूछा था कि नियमित जमानत की अर्जी खारिज होने के बाद लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए उन्हें कैसे अंतरिम जमानत दी जा सकती है।
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इससे पहले ईडी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि सोरेन की गिरफ्तारी को झारखंड हाईकोर्ट ने सही ठहराया है और उनकी नियमित जमानत याचिका 13 मई को ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दी थी। हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मिली अंतरिम जमानत का जिक्र करते हुए अपने लिए भी राहत की मांग की थी।
अरविंद केजरीवाल जैसा मामला
13 मई को न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने शुरू में मामले की सुनवाई 20 मई को सूचीबद्ध की थी लेकिन वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा था कि तब तक चुनाव खत्म हो जाएगा और अगर मामले में लंबी तारीख दी गई तो वह (सोरेन) पक्षपात का शिकार होंगे, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई 17 मई के लिए निर्धारित कर दी। सिब्बल ने सोरेन का पक्ष रखते हुए पीठ को बताया था, ‘उनका मामला भी अरविंद केजरीवाल के आदेश के हूबहू है और उन्हें भी प्रचार अभियान के लिए जमानत की जरूरत है।’
पीठ ने कहा था कि इस सप्ताह बहुत ज्यादा काम है और बहुत से मामले सूचीबद्ध हैं। शीर्ष अदालत ने तारीख 20 मई से बदलने पर अनिच्छा जताई थी, लेकिन सोरेन की ओर से पेश हुए सिब्बल और वरिष्ठ अधिवक्ता अरुणाभ चौधरी के अनुरोध पर सुनवाई की तारीख को बदलकर 17 मई कर दिया गया था। पीठ ने कहा था, ‘हमें नहीं पता कि मामले पर सुनवाई हो पाएगी या नहीं लेकिन फिर भी हम इसे 17 मई के लिए सूचीबद्ध कर रहे हैं।’