पंजाब में भूजल स्तर को बनाए रखने के लिए कृषि विशेषज्ञों ने धान की सीधी बुआई की सिफारिश की है। इस बारे में जानकारी देते हुए मुख्य कृषि अधिकारी डाॅ. संदीप कुमार ने बताया कि कद्दू की लगातार खुदाई से जमीन के नीचे एक सख्त परत बन गयी है. इस शेड्यूल के कारण बारिश का पानी नीचे नहीं जा पाता और भारी बारिश के कारण फसलों को नुकसान होता है। खेतों की सिंचाई के लिए जमीन से लगातार पानी निकालना पड़ता है, लेकिन इस पानी के रिचार्ज न होने से गंभीर जल संकट पैदा हो सकता है। यदि धान की सीधी बुआई की जाए तो भूजल नीचे बैठ जाएगा और जल स्तर को रिचार्ज करके ठीक किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि जिले में धान की सीधी बुआई 15 मई से 31 मई तक की जा सकती है . पिछले वर्षों का अनुभव बताता है कि अधिकांश किसानों ने इस विधि से बुआई कर धान की अच्छी उपज प्राप्त की है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे अपने नजदीकी कृषि कार्यालयों से संपर्क कर इस विधि की तकनीकी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इस विधि की सफलता का मुख्य कारण बुआई के समय और खरपतवार छिड़काव तकनीक की उचित जानकारी होना है, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के कार्यालयों में इस संबंध में साहित्य की व्यवस्था की गई है ताकि किसानों को मिल सके तकनीकी जानकारी। पिछले कुछ वर्षों में यह बात सामने आई है कि इस विधि ने भारी मिट्टी में अच्छे परिणाम दिए हैं।