चंडीगढ़

कांग्रेस ने शनिवार को बड़ा उलटफेर करते हुए चंडीगढ़ संसदीय सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी को मैदान में उतार दिया। वर्ष 1991 से अब तक इस सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल चुनाव लड़ते रहे लेकिन इस बार पार्टी ने उनका टिकट काट दिया। पवन बंसल का टिकट कटने और मनीष तिवारी पर भरोसा जताने के पीछे तीन प्रमुख कारण हैं।
पहला कारण यह है कि बंसल लगातार दो लोकसभा चुनाव (वर्ष 2014 और 2019) हार चुके हैं। दोनों बार भाजपा की किरण खेर ने उन्हें हराया। ऐसे में कांग्रेस हाईकमान उन्हें तीसरी बार टिकट देकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था। मनीष तिवारी को चंडीगढ़ से उतारने का दूसरा प्रमुख कारण यह है कि कांग्रेस भी भाजपा की तरह प्रत्याशी बदलकर स्थानीय चेहरे पर ही भरोसा जताना चाहती थी, इसलिए तिवारी को टिकट दिया। बता दें कि भाजपा ने भी इस बार सांसद किरण खेर का टिकट काटकर उनकी जगह स्थानीय वरिष्ठ नेता संजय टंडन को मैदान में उतारा है।
मनीष तिवारी के पिता वीएन तिवारी पंजाब यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रह चुके हैं और मां अमृत तिवारी पीजीआई चंडीगढ़ में ओरल हेल्थ सेंटर में प्रोफेसर एवं प्रमुख रही थीं। यहां तक की ऑपरेशन ब्लू स्टार से पहले मनीष तिवारी के पिता की वर्ष 1984 में सेक्टर-24 में आतंकियों ने हत्या कर दी थी। तिवारी ने पंजाब विश्वविद्यालय से बीए की डिग्री हासिल की है और लंबे समय से चंडीगढ़ के मुद्दों पर संसद से लेकर चंडीगढ़ प्रशासन के समक्ष जनता की बात उठाते आए हैं। वह चंडीगढ़ के सेक्टर-4 में रहते हैं।
तीसरा कारण है बंसल को लेकर पार्टी में असंतोष। बसंल वर्ष 1991 से लेकर पिछले चुनाव तक लगातार चंडीगढ़ सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। किसी और को मौका नहीं मिलने से पार्टी के अंदर काफी असंतोष था। इस बार यह चर्चा काफी ज्यादा गर्म थी। कई मौकों पर बंसल के खिलाफ कुछ कार्यकर्ताओं का गुस्सा खुलकर सामने भी आया था। पार्टी के अंदर बदलाव की मांग हो रही थी, जिसे हाईकमान ने भी भांप लिया था। बताया जा रहा है कि चंडीगढ़ से टिकट के दावेदारों में शामिल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एचएस लक्की ने भी बाद में केंद्रीय नेताओं को पत्र लिखकर मनीष तिवारी को टिकट देने की सिफारिश की थी। लक्की भी नहीं चाहते थे कि बंसल को टिकट मिले।
कई साल से चंडीगढ़ में सियासी जमीन तैयार कर रहे थे तिवारी
मनीष तिवारी चंडीगढ़ से लोकसभा का चुनाव लड़ने के इच्छुक थे। वह कई साल से अपने लिए यहां सियासी जमीन तैयार कर रहे थे। वर्ष 2022 की शुरुआत में जब चंडीगढ़ बिजली विभाग के निजीकरण की खबर आई तो तिवारी ने इसे लेकर संसद में सवाल उठाया। पूछा कि जब विभाग फायदे में है तो उसे बेचा क्यों जा रहा है।
फरवरी 2022 में जब शहर में अब तक का सबसे बड़ा ब्लैकआउट हुआ था तो तिवारी ने सांसद किरण खेर पर सवाल उठाते हुए गृहमंत्री से दखल की मांग की थी। कॉलोनी नंबर-4 को तोड़े जाने का भी उन्होंने विरोध जताया था। यही नहीं, तिवारी ने श्री आनंदपुर साहिब से सांसद होते हुए भी अपने एमपीलैड फंड से लाखों रुपये बापूधाम, धनास, मनीमाजरा में ओपन एयर जिम और कैमरे लगाने पर खर्च किए।
इंडिया गठबंधन में पूरी तरह फिट बैठे तिवारी
चंडीगढ़ सीट पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। तिवारी को टिकट मिलने के पीछे यह भी बड़ा कारण है कि वह गठबंधन के मानकों पर पूरी तरह फिट बैठ रहे थे। कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता पार्टी छोड़कर आप का दामन थाम चुके हैं। प्रदीप छाबड़ा और चंद्रमुखी शर्मा का नाम उनमें प्रमुख है। चंद्रमुखी शर्मा बेशक आप में शामिल हो गए हों लेकिन तिवारी से उनकी दोस्ती कभी कम नहीं हुई। ऐसे ही आप के कई अन्य नेताओं से मनीष तिवारी की अच्छी बनती है। ऐसे में आम आदमी पार्टी के नेताओं ने भी तिवारी को लेकर माहौल बनाया।