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यहां हल्‍दी से होली खेलने की सद‍ियों पुरानी परंपरा, होली उत्सव में करते हैं लोकनृत्‍य

पूरे देश में धूमधाम और हर्षोल्लास से होली का पर्व मनाया जाता है.लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस त्योहार को हर राज्य में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है.होली मनाने की हर राज्य की अपनी एक अनूठी परंपरा है.

देश के अलग-अलग राज्यों में होली का पर्व कई नामों से जाना जाता है. इतना ही नहीं कई राज्यों में इसे मनाने का तरीका भी दूसरा है.

जैसे मथुरा के बरसाना गांव की लठमार होली दुनिया में फेमस है. यहां सिर्फ रंगों से ही नहीं बल्कि लाठियों से भी होली खेली जाती है. माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने बरसाना आकर अपनी प्रिय राधा और उनकी सखियों को छेड़ा था. उस वक्‍त बरसाना की मह‍िलाएं उन्‍हें भगा देती थीं. तभी से महिलाएं होली के दौरान पुरुषों को लाठियों से खदेड़ती हैं.

भारत के पंजाब राज्य में ‘होला मोहल्ला’ निहंग सिखों द्वारा होली के एक दिन बाद मनाया जाता है. 10वें सिख गुरु गुरु गोबिंद सिंह ने समुदाय के मार्शल कौशल को विकसित करने के लिए होला मोहल्ला उत्सव की शुरुआत की थी. बता दें कि इसे पंजाब में योद्धा होली के रूप में भी जाना जाता है. इसमें योद्धा अपने साहस का प्रदर्शन करते हैं.

मण‍िपुर में योसांग फेस्‍ट‍िवल मनाया जाता है. बता दें कि यह पांच दिनों का त्‍योहार होता है. मणिपुर के भगवान ‘पखंगबा’ को श्रद्धांजलि देने के लिए यह त्‍योहार मनाते हैं. सूर्यास्त के बाद लोग ‘याओसांग मेई थाबा’ नामक झोपड़ी जलाने की परंपरा के साथ इस उत्सव की शुरुआत करते हैं. ये बिल्कुल होल‍िका दहन जैसा होता है.इसके बाद बच्‍चे दान मांगने के ल‍िए हर घर में जाते हैं. वहीं दूसरे और तीसरे दिन लड़कियां दान मांगती हैं और आखिरी दो दिन लोग एक-दूसरे पर पानी और रंग छिड़क कर इस त्योहार को मनाते हैं.

इसके अलावा केरल राज्य में भी अनोखी होली खेली जाती है. केरल में इसे मंजुल कुली के नाम से जानते हैं. इस दिन गोश्रीपुरम थिरुमा के कोंकणी मंदिर में लोग इकट्ठा होकर पूजा अर्चना करते हैं. इसके दूसरे दिन लोग एक-दूसरे पर हल्दी वाला पानी छिड़कते हैं और पारंपरिक लोक गीतों पर नृत्य करते हैं.

बता दें कि गोवा में होली का त्‍योहार श‍िम्‍मो के नाम से जाना जाता है. यहां पर लोग पारंपरिक लोकनृत्यों का आयोजन करते हैं. इसके अलावा सड़कों पर डांस-मस्‍ती करते हैं. यह उत्‍सव वसंत ऋतु का जश्न मनाने के लिए आयोजित किया जाता है. वहीं नावों को आध्यात्मिक थीम पर सजाया जाता है. मह‍िला पुरुष सब मिलकर इसे खास अंदाज में मनाते हैं.

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