Women Participation increased in Every Field: आईटी से लेकर बीएफएसआई और रिसर्च एंड डेवलपमेंट फील्ड में महिलाओं के काम करने और इन फील्ड में जॉब जॉइन करने के आंकड़ों में ज्यादा तेजी आ रही है.
Majority of Women Participation in Campus Hiring: देश में महिलाओं की कार्यस्थलों पर भागीदारी लगातार बढ़ती जा रही है और ऑफिसेज में महिला सहकर्मियों की संख्या में इजाफा होना इसका सबूत है. देश की महिलाएं हर मोर्चे पर अपने झंडे गाड़ रही हैं और ये किसी से छुपा नहीं है. इस साल गणतंत्र दिवस पर पहली बार एक पूर्ण महिला त्रि-सेवा दल ने गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लिया. इसमें भारतीय सेना के साथ दो अन्य रक्षा सेवाओं की महिलाओं की टुकड़ियों ने भी हिस्सा लिया था. कर्तव्य पथ पर 75वें गणतंत्र दिवस की परेड भी महिला केंद्रित थी जिसका मुख्य विषय ‘विकसित भारत’ और ‘भारत लोकतंत्र की मातृका’ रहे थे.

कैंपस हायरिंग एग्जाम में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी
हाल ही में हुए एक सर्वे के मुताबिक साल 2023 में कैंपस हायरिंग में शामिल हुए हर तीन कैंडिडेट में से एक कैंडिडेट महिला थी. एक AI-पावर्ड रिक्रूटमेंट ऑटोमेशन फर्म HirePro की एक रिपोर्ट के मुताबिक ये आंकड़ा निकलकर सामने आया है. “स्टेट ऑफ फीमेल पार्टिसिपेशन इन कैंपस हायरिंग इन इंडिया” नाम से प्रकाशित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कैंपस हायरिंग एग्जाम में महिलाओं की भागीदारी 34 फीसदी रही है. इसके अलावा हायरिंग का वास्तविक डेटा तो और भी हैरान करता है जिसमें बताया गया है कि बीते साल हायरिंग के प्रोसेस में नए नियुक्त किए गए लोगों में से 40 फीसदी पर महिलाओं का कब्जा रहा है. फ्रेश टैलेंट की बात की जाए तो कंपनियों में कुल जितनी हायरिंग हुई है उसमें से 40 फीसदी हायरिंग महिला एंप्लाइज के रूप में हुई है.

पिछले साल के मुकाबले महिलाओं की कुल हायरिंग में भी इजाफा
इस आंकड़े को बीते साल यानी साल 2022 के मुकाबले देखा जाए तो इसमें इजाफा देखा जा रहा है. साल 2022 में कैंपस हायरिंग में महिलाओं का प्रतिशत 35 फीसदी पर था जो कि साल 2023 में 5 फीसदी बढ़कर 40 फीसदी पर आ गया है.
क्षेत्रवार कार्यस्थलों पर महिलाओं की बढ़ती भागीदारी
अगर देश के क्षेत्रवार आंकड़ों पर बात करें तो दक्षिण भारतीय इलाकों में फीमेल पार्टिसिपशन यानी महिलाओं की भागीदारी ज्यादा है और ये 39 फीसदी पर रहा है. वहीं पूर्वी भारत में ये सहयोग सबसे कम यानी 24 फीसदी पर आंका गया है. कैंपस हायरिंग में पश्चिमी भारत में कुल हायरिंग में 34 फीसदी भागीदारी महिलाओं की रही जबकि मध्य भारत में ये आंकड़ा 28 फीसदी पर रहा है. उत्तर भारत की बात करें तो ये कुल 27 फीसदी रहा है.
किन फील्ड में महिलाएं बढ़-चढ़कर ले रही हैं हिस्सा
आईटी यानी इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, बीएफएसआई या बैंकिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज इंडस्ट्री और रिसर्च एंड डेवलपमेंट फील्ड में महिलाओं के काम करने और इन फील्ड में जॉब जॉइन करने के आंकड़े में ज्यादा तेजी आ रही है. इन आंकड़ों के आधार पर साफ कहा जा सकता है कि महिलाएं और लड़कियां घर के कामों से लेकर सरहद पर देश की सुरक्षा का काम भी मजबूती से संभाल रही हैं. सैलून में काम करने से लेकर तमाम तरह की गंभीर जिम्मेदारियां भी बखूबी उठा रही हैं.
महिलाओं के रिक्रूटमेंट की बढ़ती दरों को इस आंकड़े से समझा जा सकता है-
बीएफएसआई- 32 फीसदी
टेक्नोलॉजी- 32 फीसदी
टेलीकॉम/मैन्यूफैक्चरिंग- 27 फीसदी
आईटी सर्विसेज- 40 फीसदी
घरेलू एंटरप्राइजेज जैसे रिटेल इंजीनियरिंग- 19 फीसदी
अन्य- 41 फीसदी
क्या कहते हैं जॉब मार्केट के जानकार
HirePro के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर ने एचटी मीडिया से बात करते हुए बताया था कि महिला रोजगार और उनका जॉब मार्केट में बढ़ता प्रतिनिधित्व इस बात का सूचक है कि देश में महिलाएं पारंपरिक कार्यों से आगे बढ़कर प्रोफेशनल फील्ड में भी अपना सिक्का जमा रही हैं. हमारा हालिया सर्वे जो कि कैंपस हायरिंग में बदलते ट्रेंड को भली प्रकार एनालिसिस करके बनाया गया है- इस बारे में भारतीय महिलाओं के बदलते मिजाज को भी दिखा रहा है.
कठिन और दुर्गम इलाकों में भी महिलाओं का बढ़ रहा रोल
चाहे प्लेन उड़ाना हो या ट्रेन चलाना हो, महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी काबिलियत और मजबूती साबित कर रही हैं. हाल ही में देश में कई मौकों पर महिलाओं और लड़कियों का मुख्यधारा में अहम पदों पर आने का सिलसिला हो या ऑफिसेज, संस्थानों और फर्मों में लड़कियों-महिला सहकर्मियों की बढ़ती तादाद हो. हर मोर्चे पर महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ी है और उनका प्रतिनिधित्व भी सराहा गया है.
महिलाओं की कार्यस्थलों पर बढ़ती संख्या उत्साहदायक
हालांकि ये प्रगति उल्लेखनीय है लेकिन फिर भी हमें प्रोफेशनल फील्ड में महिलाओं के फलने-फूलने के लिए और ज्यादा मौके पैदा करने और एक सहायक वातावरण को बढ़ावा देना जारी रखना चाहिए. कैंपस हायरिंग में लड़कियों की खासी बढ़ोतरी निकट भविष्य में वर्कफोर्स रीप्रेजेंटेशन पर स्थायी असर डालने के लिए तैयार है.
