कितनी कठोर होती है इनकी ट्रेनिंग?
सेना की डॉग यूनिट्स में शामिल होने से पहले इन कुत्तों को बेहद सख्त प्रशिक्षण दिया जाता है. इनका मुख्य प्रशिक्षण मेरठ के रिमाउंट एंड वेटेरिनरी कॉर्प्स सेंटर एंड कॉलेज में होता है. यहां 1960 में एक डॉग ट्रेनिंग स्कूल स्थापित किया गया था. कुत्तों को यूनिट में शामिल करने से पहले कम से कम 10 महीने का प्रशिक्षण दिया जाता है. सशस्त्र बलों में शामिल करने से पहले कुत्ते की वफादारी और युद्ध कौशल को बेहतर बनाया जाता है. हर कुत्ते को एक हैंडलर को सौंपा जाता है, जो हर दिन उन्हें प्रशिक्षण और मार्गदर्शन देता है.
विस्फोटक ढूंढकर हैंडलर को करते हैं सचेत
यही नहीं, इन कुत्तों को कठोर शारीरिक और सामरिक प्रशिक्षण से भी गुजरना पड़ता है. वे ताकत, सहनशक्ति और चपलता बनाए रखने के लिए नियमित शारीरिक व्यायाम करते हैं. सामरिक प्रशिक्षण में कुत्तों को युद्ध के मैदान की आवाज और दृश्यों से परिचित कराने के लिए सैन्य वातावरण में प्रशिक्षण दिया जाता है. वे गोलियों के चलने और दूसरी बेहद तनाव वाली स्थितियों में शांत रहना सीखते हैं. विस्फोटकों का पता लगाने वाले कुत्तों को खास प्रशिक्षण दिया जाता है. उन्हें सिखाया जाता है कि विस्फोटक का पता लगने के बाद अपने संचालक को कैसे सचेत करें. खोज और बचाव अभियानों के लिए नियुक्त कुत्तों को गंध का पता लगाने, मलबे में पीड़ितों का पता लगाने और बुनियादी चिकित्सा सहायता में प्रशिक्षित किया जाता है.

विस्फोटक ढूंढकर हैंडलर को करते हैं सचेत
यही नहीं, इन कुत्तों को कठोर शारीरिक और सामरिक प्रशिक्षण से भी गुजरना पड़ता है. वे ताकत, सहनशक्ति और चपलता बनाए रखने के लिए नियमित शारीरिक व्यायाम करते हैं. सामरिक प्रशिक्षण में कुत्तों को युद्ध के मैदान की आवाज और दृश्यों से परिचित कराने के लिए सैन्य वातावरण में प्रशिक्षण दिया जाता है. वे गोलियों के चलने और दूसरी बेहद तनाव वाली स्थितियों में शांत रहना सीखते हैं. विस्फोटकों का पता लगाने वाले कुत्तों को खास प्रशिक्षण दिया जाता है. उन्हें सिखाया जाता है कि विस्फोटक का पता लगने के बाद अपने संचालक को कैसे सचेत करें. खोज और बचाव अभियानों के लिए नियुक्त कुत्तों को गंध का पता लगाने, मलबे में पीड़ितों का पता लगाने और बुनियादी चिकित्सा सहायता में प्रशिक्षित किया जाता है.
कितना वेतन और कब किए जाते हैं रिटायर?
सेना में भर्ती कुत्तों को हर महीने कोई वेतन नहीं दिया जाता है. लेकिन, सेना उनके खानपान और रखरखाव की पूरी जिम्मेदारी लेती है. सेना में भर्ती कुत्ते की देखरेख का जिम्मा उसके हैंडलर के पास होता है. कुत्ते को खाना खिलाना हो या उसकी साफ-सफाई का ध्यान रखना हो, ये सब उसके हैंडलर का जिम्मा होता है. वहीं, हर कुत्ते का हैंडलर ही सैन्य अभियान के दौरान उनसे अलग-अलग काम कराते हैं. सेना की डॉग यूनिट्स में शामिल होने वाले कुत्ते ज्वाइनिंग के 10-12 साल बाद सेवानिवृत्त हो जाते हैं. वहीं, कुछ कुत्ते शारीरिक चोट या हैंडलर की मृत्यु होने या शोर से नफरत बढ़ने से हुई मानसिक परेशानी जैसे कारणों से भी सम्मानजनक तरीके से सेवानिवृत्त कर दिए जाते हैं. सेना अपने कुत्तों को अलग-अलग क्षेत्र में सम्मानित भी करती है.